क्या आप जानते हैं /किन्नर से जुडी २० बाते
किन्नर हमारे समाज का इक अभिशापित हिस्सा माने जाते है / और फिर भी हमने देखा है कि उनकी दुआओ मे बहुत असर होता है / और हम देखते है कि वे शादी , या बच्चे के जन्म पैर आकर दुआ देते है और बदले मैं हमसे नेग ले जाते है / क्या इनकी दुनिया यही तक ही सिमित है नहीं आयए हम उनसे जुड़े कुछ अनजाने रोचक जांनकारी के विषये मे बात करते है /
1. ज्योतिष के अनुसार वीर्य की अधिकता से पुरुष (पुत्र) उतपन्न होता है। रक्त (रज) की अधिकता से स्त्री (कन्या) उतपन्न होती है। वीर्य और राज़ समान हो तो किन्नर संतान उतपन्न होती है।
2. महाभारत में जब पांडव एक वर्ष का अज्ञात वास काट रहे थे, तब अर्जुन एक वर्ष तक किन्नर वृहन्नला बनकर रहा था।
3. पुराने समय में भी किन्नर राजा-महाराजाओं के यहां नाचना-गाना करके अपनी जीविका चलाते थे। महाभारत में वृहन्नला (अर्जुन) ने उत्तरा को नृत्य और गायन की शिक्षा दी थी।
4. किन्नर की दुआएं किसी भी व्यक्ति के बुरे समय को दूर कर सकती हैं। धन लाभ चाहते है तो किसी किन्नर से एक सिक्का लेकर पर्स में रखे।
5. एक मान्यता है कि ब्रह्माजी की छाया से किन्नरों की उत्पत्ति हुई है। दूसरी मान्यता यह है कि अरिष्टा और कश्यप ऋषि से किन्नरों की उतपत्ति हुई है।
6. पुरानी मान्यताओं के अनुसार शिखंडी को किन्नर ही माना गया है। शिखंडी की वजह से ही अर्जुन ने भीष्म को युद्ध में हरा दिया था।
8. किसी नए वयक्ति को किन्नर समाज में शामिल करने के भी नियम है। इसके लिए कई रीती-रिवाज़ है, जिनका पालन किया जाता है। नए किन्नर को शामिल करने से पहले नाच-गाना और सामूहिक भोज होता है।
9. फिलहाल देश में किन्नरों की चार देवियां हैं।
10 कुंडली में बुध, शनि, शुक्र और केतु के अशुभ योगों से व्यक्ति किन्नर या नपुंसक हो सकता है।
11. किसी किन्नर की मृत्यु के बाद उसका अंतिम संस्कार बहुत ही गुप्त तरीके से किया जाता है।
12. किन्नरों की जब मौत होती है तो उसे किसी गैर किन्नर को नहीं दिखाया जाता। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से मरने वाला अगले जन्म में भी किन्नर ही पैदा होगा। किन्नर मुर्दे को जलाते नहीं बल्कि दफनाते हैं।
13.अंतिम संस्कार से पहले बॉडी को जूते-चप्पलों से पीटा जाता हैं, और साथ ही कहा जाता हैं इससे उस जन्म में किए सारे पापों का प्रायश्चित हो जाता हैं, अपने समुदाय में किसी की मौत होने के बाद किन्नर अगले एक हफ्ते तक खाना नहीं खाते।
14.आपको जानकर आश्चर्य होगा कि किन्नर समाज अपने किसी सदस्य की मौत के बाद मातम नहीं मनाते. इसके पीछे ये वजह हैं कि मौत के बाद किन्नर को नरक रूपी जिन्दगी से से मुक्ति मिल गई। मौत के बाद किन्नर समाज खुशियां मनाते हैं और अपने अराध्य देव अरावन से मांगते हैं कि अगले जन्म में मरने वाले को किन्नर ना बनाए।
15. किन्नर समाज कि सबसे बड़ी विशेषता है मरने के बाद यह मातम नहीं मनाते हैं। किन्नर समाज में मान्यता है कि मरने के बाद इस नर्क रूपी जीवन से छुटकारा मिल जाता है। इसीलिए मरने के बाद हम खुशी मानते हैं। ये लोग स्वंय के पैसो से कई दान कार्य भी करवाते है ताकि पुन: उन्हें इस रूप में पैदा ना होना पड़े।
16. देश में हर साल किन्नरों की संख्या में 40-50 हजार की वृद्धि होती है। देशभर के तमाम किन्नरों में से 90 फीसद ऐसे होते हैं जिन्हें बनाया जाता है। समय के साथ किन्नर बिरादरी में वो लोग भी शामिल होते चले गए जो जनाना भाव रखते हैं।
20. किन्नर अपने आराध्य देव अरावन से साल में एक बार विवाह करते है। हालांकि यह विवाह मात्र एक दिन के लिए होता है। अगले दिन अरावन देवता की मौत के साथ ही उनका वैवाहिक जीवन खत्म जाता है हो। अब सवाल यह उठता है की अरावन है कौन, किन्नर उनसे क्यों शादी रचाते है और यह शादी मात्र एक दिन के लिए ही क्यों होती है? इन सभी प्रशनो का उत्तर जानने के लिए हमे महाभारत काल में जाना पड़ेगा।
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