Thursday 29 June 2017

खाना खाए तो जमीन पर बैठकर


क्या आपने कभी सोचा कि हमारे पूर्वज ज़मीन पर बैठकर भोजन करना क्यों पसंद करते थे..........................................................................

भाग-दौड़ भरी ज़िंदगी में आराम से भोजन करने का भी लोगों को वक़्त नहीं मिलता है. समय के अभाव में लोग खड़े-खड़े या फिर डाइनिंग टेबल पर बैठकर जल्दी-जल्दी खाना निपटा लेते हैं. खैर, आज हम भले ही डाइनिंग टेबल पर बैठकर भोजन करना पसंद करते हैं. मगर एक समय था, जब लोग ज़मीन पर बैठकर ही भोजन करना पसंद करते थे. हालांकि आज भी आपको कई ऐसे पुराने विचार के लोग या ग्रामीण परिवेश में रहने वाले लोग मिल जाएंगे जो जमीन पर बैठकर ही भोजन करते हैं. ऐसा नहीं है कि उनके पास डाइनिंग टेबल नहीं होगा या फिर सामर्थ्य नहीं रहा होगा. दरअसल, इसके पीछे उनकी पौराणिक और हिंदू धर्म की आस्था जुड़ी हुई है.

ऋषि-मुनि भी आसन बिछाकर करते थे भोजन:

दरअसल हिन्दू धर्म के मुताबिक ‘भोजन को जिस तरीके और भावना के साथ ग्रहण किया जाता है, उसका फल वैसा ही प्राप्त होता है’. आप भले ही मेरी बातों का विश्वास न करें, मगर प्राचीनकाल या फिर वैदिक काल में भी ऋषि-मुनि ज़मीन पर आसन बिछाकर और उस पर पालथी मारकर बैठकर भोजन करना ही उत्तम माना करते थे. आखिर कोई न कोई वजह तो होगी, तभी तो हमारे पूर्वज और ऋषि-मुनि को इस तरीके से भोजन करना ही प्रिय था. हालांकि एक बात हमें याद रखनी होगी कि जब प्राचीनकाल या वैदिक काल में हर तरह के लकड़ी के निर्माण किए गए थे, तो क्या डाइनिंग टेबल नहीं बनाई जा सकती थी? सोचने वाली बात है.


ज़मीन पर पालथी मारकर भोजन करना है स्वास्थ्यप्रद:

दरअसल, ऋषि-मुनियों के मुताबिक, ज़मीन पर पालथी मारकर भोजन करना स्वास्थ्यप्रद माना जाता है. इस तरह से भोजन ग्रहण करने से पाचन क्रिया अच्छी रहती है और पेट से संबंधित बीमारियां नहीं होती.

इतना ही नहीं प्राचीनकाल में भोजन करने की दिशा भी निर्धारित थी. ऐसा कहा जाता है कि हाथ-पैर, मुंह धोकर आसन पर पूर्व की ओर मुंह करके भोजन करने से यश एवं आयु बढ़ती है. खड़े-खड़े, जूते पहनकर या सिर ढंककर भोजन नहीं करना चाहिए. साथ ही यह भी कहा गया है कि भोजन के समय मौन रहना चाहिए.

इसके वैज्ञानिक तर्क भी हैं:

स्वास्थ्य विज्ञान के मुताबिक, ज़मीन पर पालथी लगाकर बैठने को योग में सुखासन कहते हैं और इस आसन में भोजन करने से पेट में भोजन का पाचन सही से होता है और पेट की बीमारियां भी दूर रहती हैं. इसके अलावा, इस तरीके से भोजन करने से खून का संचालन भी सही रहता है और सभी अंगों में ब्लड सर्कुलेशन सही होता है. वहीं कुर्सी पर बैठकर खाना खाने से ब्लड सर्कुलेशन पर विपरित असर पड़ता है.
इस तरीके से लोगों की उम्र लंबी होती है:
यही कारण है कि अगर आज भी आप अपने गांवों में लोगों को सौ वर्ष जीते हुए देखते हैं, तो उसकी एक मुख्य वजह ये भी होगी. ऐसा माना जाता है कि जो लोग ज़मीन पर बैठकर परंपरागत तरीके से भोजन करते हैं उनकी आयु काफी लंबी होती है. उन्हें पेट से संबंधित बीमारियों की शिकायत बहुत कम होती है.

इसलिए दोस्तों, इस भागदौड़ भरी ज़िंदगी में कम से कम भोजन के लिए अच्छे से समय निकाल लो और ज़मीन पर बैठकर अच्छे से भोजन करने की प्रवृत्ति अपनाओ.

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झाड़ू से जुडी कुछ अनजाने सत्य

घर मे कई वस्तुएँ होती है कुछ बहुत ही सामान्य रहती है इनकी ओर किसी का ध्यान नहीं जाता‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‍‍‍‍‍‍। ऐसी चीजो मे इक है। झाड़ू जब भी साफ सफाई करना हो तभी झाड़ू का काम है अन्यथा इसकी ओर कोई ध्यान नहीं देता शास्त्रों के अनुसार झाड़ू के सम्बन्ध में कई महत्वपूर्ण बाते दी गई है। 

शास्त्रों के अनुसार झाड़ू को धन की देवी माना जाता है झाड़ू महालक्ष्मी का ही प्रतीक माना जाता है इसके पीछे इक वजह यह भी है कि झाड़ू ही हमारे घर से गरीब रुपी कचरे को बहार निकलती है। और साफ सफाई बनाये रखती है। घर यदि साफ और स्वच्छ रहे तो हमारे जीवन मे भी धन सम्बन्धि कई परेशानी दूर हो जायेगी प्राचीन परम्पराओ को मानने वाले लोग आज भी झाड़ू पर पैर लगने पर उसे प्रणाम करते है। क्योकि झाड़ू को लक्ष्मी का रूप मन जाता है। विद्वानों के अनुसार झाड़ू पर पैर लगने से महालक्ष्मी का अनादर होता है झाड़ू घर का कचरा बहार निकालती है। और कचरे को दरिद्रता का प्रतीक माना जाता है जिस घर मे पूरी साफ-सफाई रहती है वंहा धन, सम्पति और सुख शांति रहती है।




किन्नर से जुडी २० बाते आप नहीं जानते होंगे ???????
आइए जानते है झाडू से जुड़ी बातें
  1. -पौराणिक ग्रंथों में कहा गया है कि अंधेरा होने के बाद घर में झाड़ू लगाना अशुभ होता है।
  2. -जो व्यक्ति स्वप्न में नई झाड़ू लेकर अपने आपको खड़ा देखता है, तो यह सौभाग्य का प्रतीक होता है। 
  3. -कभी भी घर में उलटा झाडू रखना अपशकुन माना जाता है।
  4. -परिवार के किसी भी सदस्य के बाहर जाते ही तुरंत झाड़ू लगाना भी अशुभ होता है। 
  5. -अगर वह दूरस्थ स्थान की यात्रा पर गया हो तो उन्हें मृत्युतुल्य कष्ट होने के योग बन सकते हैं। 
  6. -अत: उनके जाने के बाद 1 या 2 घंटे बाद झाड़ू-पोंछा किया जाना चाहिए। 
  7. -झाड़ू पर पैर रखना अपशकुन माना जाता है, इसका अर्थ घर की लक्ष्मी को ठोकर मारना है। 
  8. -अगर हम झाड़ू का आदर करते हैं, तो यह महालक्ष्मी की प्रसन्नता का संकेत है। 
  9. -नया घर/भवन बनाने के पश्चात उसमें पुराना झाड़ू ले जाना अपशकुन माना जाता है एवं यह अशुभ होता है।

  1. -अगर घर में यदि कोई छोटा बच्चा अचानक झाड़ू लगाने लगे तो घर में अनचाहे मेहमान आने के योग बनते हैं। 
  2. -यह बात हमेशा ध्यान रखने योग्य है कि झाड़ू को कभी भी घर से बाहर अथवा छत पर नहीं रखना चाहिए। ऐसा करना अशुभ माना जाता है। 
  3. -कहा जाता है कि ऐसा करने से घर में चोरी की वारदात होने का भय उत्पन्न होता है। 
  4. -झाड़ू को हमेशा छिपाकर रखना चाहिए। ऐसी जगह पर रखना चाहिए जहां से झाड़ू हमें, घर या बाहर के किसी भी सदस्यों को दिखाई नहीं दें।

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Tuesday 27 June 2017

अपने फ़ोन की बैटरी की लाइफ को कैसे बढ़ाये ?



कॉल करना है और अचानक ही आपके स्मार्टफोन की बैटरी ने धोखा दे दिया। ये समस्या आम है और इससे निजात पाने के लिए अब तक आपने तरह-तरह के उपायों के बारे में जाना, सुना और पढ़ा होगा। घर पहुंचते ही अपने फोन को चार्ज पर लगा देना और अगले दिन सुबह तक उसे चार्ज करते रहना, यह सबसे अच्छा विकल्प नहीं है। हम भी आपको कुछ ऐसे ही नुस्खों के बारे में बताएंगे जिनके जरिए बैटरी की लाइफ को बेहतर बनाया जा सकता है। और मजेदार बात यह कि ये उपाय स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियों द्वारा ही सुझाए गए हैं।



1. अपने फोन को ज्यादा गर्म होने से बचाएं
स्मार्टफोन का ज्यादा गर्म होना लिथियम इयॉन बैट्रीज के लिए बेहद ही खतरनाक है। Xolo की रिसर्च एंड डेवलपमेंट टीम बताती है कि आपको अपने फोन को सीधे धूप से बचाना चाहिए। दिन में ड्राइव करते वक्त कार के डैशबोर्ड पर मोबाइल को छोड़ना खतरे से खाली नहीं है। हाई ग्राफिक्स वाले गेम्स खेलते वक्त फोन को चार्ज करने से भी बचना चाहिए। इन कारणों से बैटरी ज्यादा गर्म होती है जो फोन के लिए खतरनाक है। OnePlus के एक प्रोडक्ट मैनेजर के मुताबिक, किसी भी मोबाइल को चार्ज करने का माकुल तापमान 20 से 30 डिग्री सेल्सियस है।

2. चार्जिंग के वक्त फोन का इस्तेमाल नहीं करें
चार्जिंग के वक्त फोन के इस्तेमाल से बचना चाहिए। तकनीकी तौर पर इसे पैरासाइटिक चार्जिंग कहते हैं। फोन को ऐसे इस्तेमाल करना बेहद ही घातक साबित हो सकता है। Xolo का कहना है, ''इससे बैटरी पर दबाव पड़ता है जिस कारण से बैटरी फुल चार्जिंग साइकिल में नहीं पहुंच पाता है। नतीजतन बैटरी को नुकसान होता है।'' 

3. नकली चार्जर का इस्तेमाल नहीं करें
Xolo की ओर से एक अहम सुझाव यह भी है कि फोन को चार्ज करने के लिए कंपनी द्वारा दिए गए चार्जर का ही इस्तेमाल करें। अगर आपके फोन में क्विक चार्जिंग का फंक्शन है तो ऐसा करना बेहद ही अहम हो जाता है। इस मोबाइल कंपनी का कहना है कि हाई कैपिसिटी चार्जर आपकी बैटरी को चंद मिनटों में 70 फीसदी तक चार्ज तो कर देंगे, लेकिन यह ऑप्टमाइज्ड न हो तो बैटरी को नुकसान भी हो सकता है।



Xolo की रिसर्च एंड डेवलपमेंट टीम ने हमें बताया कि कंपनी द्वारा तय ऑप्टिमम करंट से ज्यादा के इस्तेमाल से बैटरी सेल्स की चार्ज रिटेंशन कैपिसिटी धीरे-धीरे कम होती जाती है। इसलिए झटपट चार्ज करने के लिए थर्ड पार्टी चार्जर्स के इस्तेमाल से बिल्कुल बचें। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि आप कौन सा फोन इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन 50,000 रुपये के स्मार्टफोन के लिए सड़क किनारे से खरीदे 50 रुपये वाले चार्जर का इस्तेमाल करने का कोई तुक नहीं बनता।

इससे बैटरी को तो नुकसान पहुंचता ही है और संभव है कि यह किसी दुर्घटना का कारण भी बन जाए। Apple ने तो अपने कस्टमर्स के लिए थर्ड पार्टी चार्जर ट्रेड इन प्रोग्राम चलाया था, इसके जरिए कंपनी सुनिश्चित करना चाहती थी कि उसके कस्टमर्स सिर्फ ऑरिजनल चार्जर्स का इस्तेमाल करें।

4. शून्य और 100, ये कोई जादूई आंकड़ा नहीं
OnePlus के प्रोडक्ट मैनेजर के मुताबिक, आपको अपने नए फोन को पूरी तरह से चार्ज करने की जरूरत नहीं है क्योंकि जब आप उसे खरीदते हैं तब उसकी बैटरी पहले से ही चार्ज होती है। आप सीधे इसका इस्तेमाल शुरू कर सकते हैं, एक बार जब बैटरी खत्म हो जाए तो फिर उसे पूरी तरह चार्ज कर लें।

वहीं, दूसरी तरफ अगर संभव हो तो आप अपने फोन की बैटरी को पूरी तरह से खत्म नहीं होने दें। OnePlus के प्रतिनिधि ने बताया, ''अगर संभव है तो अपनी बैटरी को पूरी तरह से खत्म नहीं होने दें। जैसे ही आपके फोन में सिर्फ 10 फीसदी बैटरी बची हो उसे चार्ज पर लगा दें। इससे बैटरी की लाइफ बढ़ती है।'' 

5. फोन को पूरी रात चार्ज पर नहीं रहने दें
वैसे फोन को पूरी रात चार्ज पर रखने से कोई बड़ा नुकसान तो नहीं होगा, लेकिन संभावना है कि आपकी बैटरी की लाइफ थोड़ी कम पड़ जाए।



Xolo का कहना है, ''एक बार स्मार्टफोन की बैटरी का वोल्टेज अपनी कैपसिटी के बराबर पहुंच जाता है तो यह खुद ही चार्ज होना बंद हो जाता है।'' इस पर OnePlus के प्रोडक्ट मैनेजर ने भी सहमति जताते हुए कहा, ''बैटरी पूरी तरह से चार्ज होने के बाद भी उसे फोन में लगे रहने देना में गलत नहीं है। इससे बैटरी को नुकसान नहीं होता।''

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हालांकि, उन्होंने कहा, ''इससे पर्यावरण को नुकसान होता है। इसलिए मेरा सुझाव होगा कि जब भी फोन पूरी तरह से चार्ज हो जाए आप फोन को चार्जर से हटा लें।''


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Monday 26 June 2017

रिलायंस जिओ दे रहा है इन ग्राहकों को अतरिक्त डाटा

रिलायंस जिओ दे रहा है 20% अतरिक्त इन्टरनेट का डाटा ..............................................................

रिलायंस जिओ हर दिन अपने ग्राहकों को लुभाने के लिए कुछ न कुछ करता रहता है लकिन इस बार रिलायंस दे रहा है 20 % अतरिक्त डाटा, लकिन ये सिर्फ एलआईएफ मोबाइल के लिए है। और वो भी जो मोबाइल 6000 से 10000 के बीच मे है या फिर कह लीजिये सिर्फ वाटर हैंडसेट के मोबाइल फ़ोन पर 



इसका अर्थ है कि 1 जीबी फ्री 4 जी डेटा के लिए योग्य लाइफ स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं को 20% अतिरिक्त डेटा का आनंद मिलेगा, जो प्रति दिन 1.2 जीबी है।

अरे ये क्या ! यहाँ लोग खाते है नंगे होक

यह प्रस्ताव उस समय में आया था जब एलआईएफ के हैंडसेट की बिक्री चौंका देने लगी। एलएएफ़ के स्मार्टफोन को 2,99 9 रुपए और फ्री 4 जी डेटा के साथ पेश किया गया था, इस हैंडसेट श्रेणी ने एक तूफान से बाजार उठाया था। साइबर मीडिया रिसर्च के अनुसार, रिलायंस रिटेल द्वारा बेची जाने वाली एलआईएफ हेडसेट की संख्या सितंबर 2016 के बाद 22 लाख से बढ़कर 7.4 लाख पर पहुंच गई। इससे पहले, रिलायंस जियो ऑफ़र्स का लाभ लेने का एकमात्र तरीका रिलायंस एलवाईएफ हैंडसेट खरीदने के लिए था। इसलिए बिक्री में यह गिरावट इस तथ्य को जिम्मेदार ठहराई गई है कि रिलायंस जियो ऑफर सभी 4 जी हैंडसेट तक पहुंचाए गए थे। रिलायंस 4 जी वीओएलटीई स्मार्टफोन रिलायंस रिटेल में उपलब्ध हैं।




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रमजान के कुछ रोचक



रमजान के कुछ रोचक नहीं जानते होंगे आप

रमजान का महीना बड़ा ही महत्व रखने वाला होता है l चलिए आपको बताते है रमजान के कुछ रोचक तथ्य,





  • ऐसा माना जाता है की रमजान का महीना इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से नौवा महीना होता है, जो की बहुत ही पाक होता है।
  • बड़ा ही रोचक बात है की रमजान के दौरान परिवार का हर सदस्य रोज़े रखता है। बूढ़े, छोटे बच्चे और गर्भवती औरतों को छोड़कर।
  • आज कल हमारे बीच नशे की आदत बढती ही जा रही है ऐसे में रमजान के इस एक महीने में सब तरह के नशे से दूर रहना होता है।
  • ऐसा माना जाता है की पैगम्बर मोहम्मद ने भी अपने रोज़े खजूर खाकर खोले थे। तो खजूर का रमजान में एक अनोखा महत्व है।
  • रमजान के महीने को इतना पाक इसलिए माना जाता है क्योंकि इसी महीने मैं इस्लाम की सबसे पवित्र रात लयलत-अल-क़द्र का आगमन होता है ।
  • रोज़े की शुरुआत सुबह सूरज  के निकलने से पहले के भोज, जिसे ‘सुहूर’ कहा जाता है और अंत सूरज डूबने के बाद के भोज पर होता है, जिसे ‘इफ्तार’ कहा जाता है।
  • रोज़ो का मतलब सिर्फ भूखा रहना नहीं है, रोजो का मतलब आत्मा को साफ़ करना है।


कुछ ऐसे ही ख़ुदा की इबादत और दुनिया के लिए अमन की दुआओं में रमजान गुज़रता है। रमजान के आखिरी दिन को बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है। जिसे की हम सब ईद-उल-फितर के नाम से जानते है  ईद की वो रात आसमान में झूलते हुए चाँद को देखते हुए गुज़रती है और इसी तम्मना में सब लोग अगले रमजान के आने का इंतज़ार करते है। 


क्यों मानते है चाँद को देखकर ईद

क्यों मानते है चाँद को देखकर ईद

चाँद को देखकर ही  ईद क्यों मनाई जाती है .........



जब भी ईद की बात होती है, तो सबसे पहले जिक्र आता है ईद के चांद का. ईद का चांद रमजान के 30वें रोज़े के बाद ही दिखता है. इसी चांद को देखकर ईद मनाई जाती है. हिजरी कैलेण्डर, जोकि इस्लामिक कैलेण्डर है, के अनुसार ईद साल में दो बार आती है. एक ईद होती है ईद-उल-फितर और दूसरी को कहा जाता है ईद-उल-जुहा. ईद-उल-फितर को महज ईद भी कहा जाता है. इसके अलावा इसे मीठी ईद भी कहा जाता है. जबकि ईद-उल-जुहा को बकरीद के नाम से भी जाना जाता है.


अब आते हैं इस सवाल पर कि ईद किस दिन मनाई जाती है. तो जिस दिन ईद का चांद नजर आता है ईद भी उसी दिन मनाई जाती है. यही वजह है कि कई बार एक ही देश में अलग-अलग दिन ईद मनाई जा सकती है. जहां चांद पहले देखा जाता है वहां ईद पहले मन जाती है... इस बात से यह तो साफ होता है कि ईद और चांद के बीच कुछ खास रिश्ता है. आईए आज आपको बताते हैं कि ईद और चांद के बीच है क्या स्पेशल कनेक्शन...


ईद और चांद का खास कनेक्शन

ईद-उल-फ़ितर हिजरी कैलंडर (हिजरी संवत) के दसवें महीने शव्वाल यानी शव्वाल उल-मुकरर्म की पहली तारीख को मनाई जाती है. अब समझने वाली बात यह भी है कि हिजरी कैलेण्डर की शुरुआत इस्लाम की एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक घटना से मानी जाती है. वह घटना है हज़रत मुहम्मद द्वारा मक्का शहर से मदीना की ओर हिज्ऱत करने की यानी जब हज़रत मुहम्मद ने मक्का छोड़ कर मदीना के लिए कूच किया था.

हिजरी संवत जिस हिजरी कैलेण्डर का हिस्सा है वह चांद पर आधारित कैलेण्डर है. इस कैलेण्डर में हर महीना नया चांद देखकर ही शुरू माना जाता है. ठीक इसी तर्ज पर शव्वाल महीना भी ‘नया चांद’ देख कर ही शुरू होता है. और हिजरी कैलेण्डर के मुताबिक रमजान के बाद आने वाला महीना होता है शव्वाल. ऐसे में जब तक शव्वाल का पहला चांद नजर नहीं आता रमजान के महीने को पूरा नहीं माना जाता.

शव्वाल का चांद नजर न आने पर माना जाता है कि रमजान का महीना मुकम्मल होने में कमी है. इसी वजह से ईद अगले दिन या जब भी चांद नजर आए तब मनाई जाती है.

क्यों मानते है ईद का त्योहार

आखिर क्यों मानते है ईद का त्योहार.......................................................................



624 ईस्वी में पहला ईद-उल-फ़ित्र मनाया गया था। पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने बद्र के युद्ध में विजय प्राप्त की थी। यह त्योहर उसी खुशी में मनाया गया था।

रमजान के 30 रोजों के बाद चांद देखकर ईद मनाई जाती है। साथ ही जब भी हम ईद की बाद करते हैं तो सेवइयों और इफ्तार पार्टी का भी जिक्र आता है।  ईद को ईद-उल-फ़ित्र भी कहा जाता है।
624 ईस्वी में पहला ईद-उल-फ़ित्र मनाया गया था। पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने बद्र के युद्ध में विजय प्राप्त की थी। यह त्योहर उसी खुशी में मनाया गया था।

इस्लामिक कैलेंडर में दो ईद मनाई जाती हैं। दूसरी ईद जो ईद-उल-जुहा या बकरीद के नाम से भी जानी जाती है। ईद-उल-फ़ित्र का यह त्योहार रमजान का चांद डूबने और ईद का चांद नज़र आने पर नए महीने की पहली तारीख को मनाया जाता है। 
रमज़ान के पूरे महीने रोजे रखने के बाद इसके खत्म होने की खुशी में ईद के दिन कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं। सुबह उठकर ईदगाह और मस्जिदों में नमाज अदा की जाती है और ख़ुदा का शुक्र अदा किया जाता है कि उसने पूरे महीने हमें रोजे रखने की शक्ति दी। 
इस दिन इस्लाम को मानने वाले का फर्ज होता है कि अपनी हैसियत के हिसाब से जरूरतमंदों को दान दें। इस दान को इस्लाम में जकात और फितरा भी कहा जाता है।
अल्‍लाह की रहमत
ईद के त्‍योहार पर लोग ईदगाह में नमाज पढ़ने जाते हैं। इसके बाद एक दूसरे के गले मिलते हैं और ईद मुबारक बोलते हैं। इतना ही नहीं सब लोग साथ में मिलकर खाना भी खाते हैं। कहा जाता है कि आपसी प्रेम व भाईचारे को अपनाने वालों पर अल्‍लाह की रहमत बरसती है।

Sunday 25 June 2017

Why do fans have three blades ????

अब, बस इसे समझने की कोशिश करो .. अधिकांश पंखो में केवल तीन ब्लेड क्यों होते हैं? ऐसा क्यों हो सकता है ??...........................


क्या आपने कभी गौर किया है कि हमारे घरों की छतों में जो सीलिंग फैन लगे होते हैं उनके केवल तीन ब्लेड ही क्यों होते हैं, जबकि कंपनियां चार ब्लेड वाले भी सीलिंग फैन बनाती है. यही नहीं, जब हम किसी दुकान पर छत वाला पंखा खरीदने जाते हैं तो दुकानदार भी सबसे पहले हमें तीन ब्लेड वाला पंखा ही दिखाता है. जब तक हम डिंमाड न करे तब तक वह हमें चार ब्लेड वाला पंखा नहीं दिखाता है. क्या आपने कभी सोचा है कि पंखों में लगे ब्लेड्स की संख्या कम या ज्यादा क्यों होती है

अक्सर आपने गौर किया होगा कि भारतीय घरों में 3 ब्लेड वाले सीलिंग फैन पंखे लगे होते हैं. जबकि बाजार में चार ब्लेड वाला पंखा भी मौजूद है। हम उसको क्यों नहीं लगाते, जबकि वह कम शोर करने के साथ हिलता डुलता भी कम है. दरअसल, 4 ब्लेड वाले पंखे ठंडे देशों या उन स्थानों में प्रयोग किए जाते हैं जहां एयर कंडीशनर एसी लगा हो. ये पंखा एसी के सप्लीमेंट के तौर पर इस्तेमाल किए जाते हैं ताकि एसी की हवा पूरे कमरे में फैल जाए. चूंकि 4 ब्लेड वाले पंखे 3 ब्लेड वाले पंखे की तुलना में धीमे चलते हैं इसलिए इनकी वजह से यह काम आसान हो जाता है.




वहीं भारत में पंखे का इस्तेमाल सिर्फ हवा लेने के लिए किया जाता है. चूंकि 3 ब्लेड वाला पंखा हल्का होता है और तेज चलता है इसलिए भारत में 3 ब्लेड वाला पंखा ज्यादा इस्तेमाल होता है. इतना ही नहीं आपने विवाह आदि कार्यक्रमों में देखा होगा कि पंडाल में जगह जहग स्टेंडिंग फैन लगे होते हैं उसमे केवल दो ही ब्लेड होते हैं. उनकी रफ्तार भी काफी तेज होती है और वे आवाज के साथ हवा भी बहुत तेज फेंकते है. इस कारण लोग उनकों तूफान फैन के नाम से भी पुकारते है. इसलिए अब जब कभी ऐसा मौका मिले तो, इन बातों को नजदीक से अनुभव करना.

Time Traveling is True





Friday 23 June 2017

बियर होती है फायदेमंद

बियर के फायदे सुनकर चोंक जायेगे आप .............................................................




एल्कोहॉलिक पेय पदार्थों में, बीयर सबसे ज्यादा उपयोग किया जाने वाला पेय पदार्थ है। बीयर में, एल्कोहल की मात्रा अन्य प्रकार की शराब के मुकाबले कम होती है। वैसे तो बीयर एक नशीला पदार्थ है, लेकिन अन्य कई घातक नशीले पदार्थों की तुलना में बीयर के स्वास्थ्य सम्बन्धी कई फायदे भी हैं। निर्माण की दृष्टि से बीयर जौ, गेँहू, मक्का, चावल आदि के किंडवन (फर्मेंटेशन) से बनाई जाती है। कुछ बीयर ऐसी भी होती हैं, जिनमें जड़ी-बूटियाँ और सुगन्ध पैदा करने वाले पदार्थ मिलाए जाते हैं। भारतीय बाज़ारों में आम तौर पर, जो बीयर बेची जाती हैं, वह जौ से बनाई गई सामान्य बीयर ही होती है। जहाँ अन्य शराब बहुत हानिकारक होती है वहीं, बीयर पीने के कई सारे लाभ भी हैं।


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मोटे लोग होते है ज्यादा बेहतर

स्वास्थ्य के लिए बीयर के फायदे
हृदय को ताकत देती है बियर- साधारण मात्रा में, बीयर का सेवन करने वालों में हृदय की बीमारी का जोखिम कम होता है। अगर थोड़ी सी मात्रा में, एक या दो पैग का हफ्ते में एक या दो बार सेवन किया जाए, तो यह शरीर के अच्‍छे कोलेस्‍ट्रॉल यानी एच.डी.एल लेवल को बढा देती है। इससे, हृदय रोगों का खतरा कम हो जाता है और धमनियां ब्‍लॉक होने से बच जाती हैं।


किडनी में स्‍टोन नहीं होता- बीयर पीने वाले लोगों में, किडनी स्‍टोन होने का खतरा उन लोगों के मुकाबले 40% कम होता है, जो बीयर नहीं पीते।
पाचन शक्ति को बढ़ाती है- बीयर में घुलनशील रूप में फाइबर पाया जाता है, जिससे बीयर आँत और पेट को साफ करने में मदद करती है और पाचन शक्ति बढाती है।

पोषक तत्‍वों से युक्त होती है बियर- बीयर में मैग्नीशियम, सेलेनियम और पोटेशियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसके अलावा भी इसमें क्रोमियम, विटामिन बी और बायोटिन भी होता है।

विटामिन-बी के स्तर को बढ़ती है बियर- बीयर में विटामिन-बी बड़ी मात्रा में पाया जाता है। इसमें विटामिन-बी 1, बी2, बी6 और विटामिन बी 12 होता है। बीयर में एंटी-एनीमिक (रक्त की कमी सी बचाने वाला) तत्व भी पाया जाता है।

हड्डियों को मजबूत बनाती है – इसमें सिलीकॉन पाया जाता है जो हड्डियों के लिए फायदेमंद साबित होता है।
अनिद्रा की बीमारी में राहत देती है बीयर – बीयर में लैक्टोफ्लेविन और निकोटिनिक एसिड पाया जाता है जो अनिद्रा की बीमारी के लिए फायदेमंद होता है।

ख़ून में गाँठें बनने से रोकती है बियर- यह ब्लड क्लॉटिंग होने रोकता है।
याददाश्त को रखती है ठीक- बीयर पीने वालों में याददाश्त संबन्धी बीमारी अल्झाइमर और डेमेंशिया की बीमारी कम होती है। 
तनाव में राहत- यह तनाव में फायदेमंद है।

त्वचा को स्वस्थ व सुंदर बनाती है – बीयर पिगमेंटेशन को सही करती है, नई त्वचा कोशिकाओं को उत्पन्न करके उसको स्वस्थ एवं चिकना बनाती है।
कुल कैलोरी- लगभग 12 तोल बीयर में 156 कैलोरी के साथ 14 एमजी सोडि़यम, 0 वसा, 12.6 ग्राम कार्बोहाइड्रेट और 1 प्रतिशत कैल्‍शिम पाया जाता है।

एंटीऑक्सीडेंट- इसमें अच्‍छी मात्रा में एंटीऑक्‍सीडेंट पाया जाता है जो शरीर की कोशिकाओं की मरम्‍मत करने का कार्य करता है। यह एंटीऑक्‍सीडेंट बीयर में शामिल जौ में पाया जाता है। जौ की सेल वॉल में फेरोलिक एसिड होता है जो एंटीऑक्‍सीडेंट का कार्य करता है।

दवा के रूप में बियर- एक बोतल बीयर को गर्म करके उसमें चार चम्मच शहद मिलाकर पीने से सर्दी और जुकाम में राहत मिलती है, यह रक्त संचार को सही करती है। साँस या नाक जाम होने पर, जोड़ों के दर्द में और रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में गर्म बीयर बहुत फायदेमंद होती है।
त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद- महिलाएं बीयर का इस्तेमाल बालों और त्वचा के लिए भी करती हैं।

इन सभी फायदों के बावजूद बीयर शराब का ही एक प्रकार है, और शराब के भले ही शरीर के लिए बहुत से फायदे क्यों न हो, लेकिन इसका अधिक सेवन व्यक्ति को कई रोगों से ग्रस्त बन सकता है. इसलिए इसका सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए। सामान्य रूप से स्वस्थ्य वयस्क को प्रतिदिन 5 % एल्कोहल कंटेंट वाली 375 मिली से अधिक बीयर नहीं पीना चाहिए।

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Thursday 22 June 2017

मोटे लोग होते है ज्यादा बेहतर

मोटे लोग होते है हर काम में अच्छे 




अगर आप अपने आस पास कुछ मोटे लोगो को देखते है तो इसका मतलब ये नहीं है। वे कुछ काम ढंग से नहीं करते होंगे बल्कि वे पतले लोगो के मुकाबले किसी काम को बहुत ही निष्ठा से करते   है। और बहुत ही अच्छे ढंग से वे बोल चाल में भी अच्छे होते है सही फैसले लेते है और हँसी मज़ाक में भी आगे होते है। 


और अगर आप मोटी लड़की से शादी करते है तो आप लकी है। क्योकि मोटी लड़की न सिर्फ अपने पति की जिंदगी में खुशियां लाती है बल्कि पूरे परिवार का बहुत अच्छा ख्याल रखती हैं, वह दूसरों से ज्यादा जिम्मेदार और निष्ठावान होती हैं। वह अपने पति को सच्चे दिल से प्यार करने के साथ उनका हर मुसीबत में पूरा साथ निभाती हैं. तो आइये जानते हैं मोटी लड़कियों में छिपी इन खास खूबियों के बारे में…

1- अपने पति को रखती हैं खुश

मोटी लड़कियां अपने जीवन साथी की हर पसंद का इतना बारीकी से ध्यान रखती हैं कि उनके साथी को उनसे कभी तेज आवाज में भी बोलने की जरुरत ही नहीं पड़ती। वह खुद को सजाने संवारने की जगह अपने पति की खूबसूरती पर ज्यादा ध्यान देती हैं। ऐसी लड़कियां हमेशा चाहती हैं कि उनका पति जहाँ भी जाए सबसे अलग दिखे और हर जगह उसके पति की ही बात की जाए।

2- दिखाती हैं ज्यादा समझदार

मोटी लड़कियां अपना हर काम सोच-समझ कर पूरी समझदारी के साथ करती हैं । घरेलू मामलों में मोटी लड़कियां ज्यादा तेज होती हैं उन्हें हर घरेलू काम करना बहुत अच्छा लगता है। पतली लड़कियां की अगर बात करें तो उन्हें घरेलू कामों में इंटरेस्ट कम ही रहता है.
3- इमोशनल

मोटी लड़कियां पतली लड़कियों की तुलना में दिल की ज्यादा साफ़ होती हैं। वो दिमाग से सोचने की जगह दिल से सोचती हैं और अपनी जिन्दगी के ज्यादातर फैसले दिल से ही लेती हैं। इस कारण से वो बहुत ही सीधी साधी और सिंपल होती हैं, दिल से सोचने के कारण ही मोटी लड़कियां ज्यादा इमोशनल होती हैं। उनका यही इमोशनल स्वभाव उन्हें अन्दर से बेहद सुन्दर बनाता है।



क्या आप किसी मोटी लड़की से शादी करेगे कमेंट करे ...............................................

Time Traveling is True




Wednesday 21 June 2017

नासा ने ढूँढ निकाली है इक नई पृथ्वी

नासा के केप्लर नामक टेलिस्कोप ने इक पृथ्वी की ही तरह दिखने वाला प्लेनेट खोज निकला है। जोकि पृथ्वी के ही आकार का है। और पृथ्वी की हि तरह रहने योग्य वातावरण है।

नासा के केप्लर स्पेस टेलीस्कॉप, खगोलविदों ने पहले पृथ्वी के आकार के ग्रह को "रहने योग्य क्षेत्र" में एक तारे की परिक्रमा करते हुए खोज निकाला है जोकि उतनी ही दूरी पर है जितना की हमारी पृथ्वी और यह अनुमान लगाया जा रहा है की शायद् वंहा कोई पानी ही की तरह तरल मौजूद हो सकता है  केप्लर -186 एफ की खोज ने पुष्टि की है कि ग्रहों का आकार हमारे सूर्य के अलावा अन्य सितारों के रहने योग्य क्षेत्र में मौजूद है।

जो ग्रह "रहने योग्य क्षेत्र" पहले पाए गए है वे पृथ्वी से लगभग ४० % बड़े है लकिन Kepler-186f बहुत कुछ पृथ्वी की ही तरह दिखाई पड़ रहा है और इसका आकार भी पृथ्वी के आकार के जितना ही है।

वाशिंगटन स्थित एजेंसी के मुख्यालय में नासा के एस्ट्रोफिजिक्स डिवीजन के निदेशक पॉल हर्टज ने कहा, "केप्लर -186 एफ की खोज हमारे ग्रह पृथ्वी की तरह दुनिया की खोज करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है"। "भविष्य के नासा मिशन, ट्रांसटिंग एक्सपेलनेट सर्वे सैटेलाइट और जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कॉप की तरह, निकटतम चट्टानी एक्सपेलैनेट की खोज करेंगे और उनकी संरचना और वायुमंडलीय परिस्थितियों का पता लगाएंगे, मानव जाति की खोज को पृथ्वी की तरह दुनिया की खोज के लिए जारी रखेंगे।"
हालांकि केप्लर -186 एफ का आकार जाना जा चुका है, लेकिन इसका द्रव्यमान और संरचना का अभी कुछ पता नहीं है। हालांकि, पिछले शोध से पता चलता है कि एक ग्रह केप्लर -186 एफ का आकार चट्टानी हो सकता है।




नासा के एम्स में एसईटीआई संस्थान के अनुसंधान वैज्ञानिक एलिसा क्विंटाना ने कहा, "हम सिर्फ एक ही ग्रह के बारे में जानते हैं, जहां जीवन मौजूद है - पृथ्वी। जब हम अपने सौर मंडल के बाहर जीवन की तलाश करते हैं, तो हम ग्रहों की विशेषताओं के साथ मिलते हैं, जो कि पृथ्वी की नकल करते हैं" मोफ्फ़ेट फील्ड, कैलिफोर्निया में शोध केंद्र, और पत्रिका विज्ञान में आज प्रकाशित पेपर के प्रमुख लेखक "आकार में पृथ्वी के लिए तुलनीय रहने वाला एक ज़मीन ग्रह ढूंढना एक बड़ा कदम है।"




अरे ये क्या ! यहाँ लोग खाते है नंगे होकर

केप्लर -186 एफ अपना  हर १३० दिन में अपने सितारे का चक्कर पूरा केर लेता है और इक तियाही सूर्य का प्रकाश ऊर्जा को ग्रहण केर लेता है जिस प्रकार हमारी पृथ्वी कर लेती है केपलर -186 एफ की सतह पर, उच्च दोपहर में अपने तारे की चमक केवल उतनी ही उज्ज्वल होती है जितनी सूर्यास्त से एक घंटे पहले हमारा सूरज हमें दिखाई देता है।


हम सपने क्यों देखते है ?