जाने इन जगहों के बारे में
1. पिसावा के जंगल
उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के पिसावा के जंगल वाकई आज के लिए उदाहरण है। यदि किसी को लकड़ी काटने से रोकने वाले जंगल देखने हैं तो पिसावा के जीते-जागते जंगलों को देख सकते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में देहात का यह हिस्सा बेहद रहस्यमयी है। ब्रजभूमि में ऐसी फंाग हैं जिसमें अंदर घुसने से पर्यटक डरते हैं। कारण है कि सुनसान जंगल से अजीब-अजीब आवाजें सुनाई पड़ती हैं।
2. मेरठ का भूत बंगला
उत्तर प्रदेश के ही एक जिले मेरठ में बेहद डरावना किस्सा है भूत बंगले का। यह बंगला मेरठ के मॉल रोड स्थित कैंट बोर्ड के सीईओ के आवास के निकट है। सीईओ के आवास और व्हीलर्स क्लब के बीच (आशियाना गेस्ट हाउस के विपरीत) एक रास्ता अंदर की
3. कुलधरा गांव जैसलमेर
खतरनाक स्थलों की सूची में ये जैसलमेर जिले का कुलधरा गांव है, जो कि पिछले करीब 170 सालों से वीरान पड़ा है। बताया जाता है कि इस राजस्थानी गांव में पालीवाल ब्राहम्णों का निवास था। कुलधरा गांव के हजारों लोग अपने गांव की एक लड़की को अय्याश दीवान सालम सिंह से बचाने के लिए, एक ही रात मे इस गांव को खाली कर के चले गए थे और जाते जाते श्राप दे गए थे कि यहां फिर कभी कोई नहीं बस पाएगा। तब से गांव वीरान पड़ा है। कहा जाता है कि यह गांव रूहानी ताकतों के कब्जे में हैं, कभी एक हंसता खेलता यह गांव आज एक खंडहर में तब्दील हो चुका है। टूरिस्ट प्लेस में बदल चुके कुलधरा गांव में घूमने आने वालों के मुताबिक यहां रहने वाले पालीवाल ब्राह्मणों की आहट आज भी सुनाई देती है। उन्हें वहां हरपल ऐसा अनुभव होता है कि कोई आसपास चल रहा है। बाजार के चहल-पहल की आवाजें आती हैं, महिलाओं के बात करने उनकी चूडिय़ों और पायलों की आवाज हमेशा ही वहां के माहौल को भयावह बनाते हैं। प्रशासन ने इस गांव की सरहद पर एक फाटक बनवा दिया है जिसके पार दिन में तो सैलानी घूमने आते रहते हैं लेकिन रात में इस फाटक को पार करने की कोई हिम्मत नहीं करता हैं। मई 2013 में दिल्ली से आई भूत प्रेत व आत्माओं पर रिसर्च करने वाली पेरानार्मल सोसायटी की टीम ने कुलधरा गांव में रात बिताई और यहाँ पर पारलौकिक गतिविधिया रिकॉर्ड की।
4.भानगढ़ का किला अलवर
भानगढ़ फोर्ट, राजस्थान के अलवर जिले में स्थित है। यह भारत का टॉप मोस्ट हॉन्टेड प्लेस है। इसे आम बोलचाल की भाषा में भूतों का भानगढ़ कहा जाता है। इस बारे में रोचक कहानी है कि 16 वीं शताब्दी में भानगढ़ बसता है। 300 सालों तक भानगढ़ खूब फलता फूलता है। फिर यहां कि एक सुन्दर राजकुमारी रत्नावती पर काले जादू में महारथ तांत्रिक सिंधु सेवड़ा आसक्त हो जाता है। वो राजकुमारी को वश में करने लिए काला जादू करता है पर खुद ही उसका शिकार हो कर मर जाता है। पर मरने से पहले भानगढ़ को बर्बादी का श्राप दे जाता है और संयोग से उसके एक महीने बाद ही पड़ौसी राज्य अजबगढ़ से लड़ाई में राजकुमारी सहित सारे भानगढ़ वासी मारे जाते है और भानगढ़ वीरान हो जाता है। तब से वीरान हुआ भानगढ आज तक वीरान है और कहते है कि उस लड़ाई में मारे गए लोगो के भूत आज भी रात को भानगढ़ के किले में भटकते है। सरकार ने भी पर्यटकों को यहां अंधेरा होने से पहले चले जाने की चेतावनी जारी कर रखी है। लोगों का मानना है कि आज भी उस तांत्रिक की आत्मा वही भटकती रहती है।
5. थ्री किंग्स चर्च
गोवा के किंग्स चर्च में तीन पुर्तगाली राजाओ की आत्मा भटकती है और कई बार चर्च में आए लोगों को इनकी मौजूदगी का एहसास भी होता है। यहां के लोगों का कहना है की किसी समय यहां तीन पुर्तगाली राजा हुआ करते थे। इनमें वर्चस्व को लेकर अक्सर लड़ाई होती रहती थी। एक बार होल्गेर नाम के एक राजा ने अन्य दोनों राजाओं को इस चर्च में आमंत्रित किया और धोखे से जहर देकर मार दिया। जब लोगों को होल्गेर की इस करतूत का पता चला तो उन्होंने इसके महल को घेर लिया। जनता के आक्रोश को देखकर तीसरे राजा ने आत्महत्या कर ली। तीनों राजाओं के शव को इसी चर्च में दफना दिया गया। इसके बाद से ही इस चर्च में भूतों का निवास माना जाता है।
6. जमाली-कमाली मस्जिद और कब्र
यह मस्जिद दिल्ली के महरौली में स्थित है। यहां सोलवहीं शताब्दी के सूफी संत जमाली और कमाली की कब्र मौजूद है। इस जगह के बारे में लोगों का विश्वास है कि यहां जिन्न रहते हैं। कई लोगों को इस जगह पर डरावने अनुभव हुए हैं। सूफी संत जमाली लोधी हुकूमत के राज कवि थे। इसके बाद बाबर और उनके बेटे हुमायूं के राज तक जमाली को काफी तवज्जो दी गई। माना जाता है कि जमाली के मकबरे का निर्माण हुमायूं के राज के दौरान पूरा किया गया। मकबरे में दो संगमरमर की कब्र हैं, एक जमाली की और दूसरी कमाली की। जमाली कमाली मस्जिद का निर्माण 1528-29 में किया गया था। यह मस्जिद लाल पत्थर और संगमरमर से बनी है।
7. अग्रसेन की बावड़ी
अग्रसेन की बावड़ी राजधानी दिल्ली में कनाट प्लेस से थोड़ी ही दुरी पर स्थित है। महाराजा अग्रसेन ने 14वीं शताब्दी में इस बावड़ी का निर्माण करवाया था। इसकी लंबाई 60 मीटर और चौड़ाई 15 मीटर है। इस प्राचीन स्मारक को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) का संरक्षण प्राप्त है। किसी जमाने में यह हमेशा पानी से भरी रहती थी, लेकिन अब यह सूख चुकी है। इसके बारे में प्रचलित है कि इसका काला पानी लोगों को सम्मोहित कर आत्महत्या के लिए उकसाता था। इसके तल तक पहुंचने के लिए 106 सीढिय़ां उतरनी पड़ती हैं। एएसआई के अधीन होने के बावजूद लोगो को इसके बारे में ज्यादा पता नही है यदि आप कनाट प्लेस जाकर भी किसी से इसके बारे में पूछेंगे तो वो अनभिज्ञता जाहिर देंगे।
8 डाउ हिल पश्चिम बंगाल के दार्जलिंग जिले में स्तिथ एक हिल स्टेशन है। इसकी दार्जलिंग से दुरी 32 किलो मीटर है। इसकी ऊंचाई 4864 फीट है। कुर्शियांग का स्थानीय नाम खरसांग है। इसका मतलब होता है सफेद आर्किड की भूमि। कुर्शियांग मुख्यत अपने बोर्डिंग स्कूलों और पर्यटन के लिए जाना जाता है। पर कुर्शियांग से लगती डाउ हिल से एक मिस्ट्री जुड़ी हुई है जो की इसे भारत के टॉप मोस्ट हॉन्टेड प्लेस की लिस्ट में शामिल कराती है। डाउ हिल के जंगलों में बड़ी संख्या में आत्म हत्याएं हुई है। इस जंगल में इधर-उधर इंसानो की हड्डियां दिखाई दे जाना आम बात है। इसलिए यहां के वातावरण में अजीब सी सिरहन और दर महसूस किया जाता है। स्थानीय लोगो का कहना है कि दिसंबर से मार्च तक की छुट्टियों के दौरान उन्हें विक्टोरिया बॉयज स्कूल में पैरों कि आहट सुनाई देती है।
7. अग्रसेन की बावड़ी
अग्रसेन की बावड़ी राजधानी दिल्ली में कनाट प्लेस से थोड़ी ही दुरी पर स्थित है। महाराजा अग्रसेन ने 14वीं शताब्दी में इस बावड़ी का निर्माण करवाया था। इसकी लंबाई 60 मीटर और चौड़ाई 15 मीटर है। इस प्राचीन स्मारक को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) का संरक्षण प्राप्त है। किसी जमाने में यह हमेशा पानी से भरी रहती थी, लेकिन अब यह सूख चुकी है। इसके बारे में प्रचलित है कि इसका काला पानी लोगों को सम्मोहित कर आत्महत्या के लिए उकसाता था। इसके तल तक पहुंचने के लिए 106 सीढिय़ां उतरनी पड़ती हैं। एएसआई के अधीन होने के बावजूद लोगो को इसके बारे में ज्यादा पता नही है यदि आप कनाट प्लेस जाकर भी किसी से इसके बारे में पूछेंगे तो वो अनभिज्ञता जाहिर देंगे।
8 डाउ हिल पश्चिम बंगाल के दार्जलिंग जिले में स्तिथ एक हिल स्टेशन है। इसकी दार्जलिंग से दुरी 32 किलो मीटर है। इसकी ऊंचाई 4864 फीट है। कुर्शियांग का स्थानीय नाम खरसांग है। इसका मतलब होता है सफेद आर्किड की भूमि। कुर्शियांग मुख्यत अपने बोर्डिंग स्कूलों और पर्यटन के लिए जाना जाता है। पर कुर्शियांग से लगती डाउ हिल से एक मिस्ट्री जुड़ी हुई है जो की इसे भारत के टॉप मोस्ट हॉन्टेड प्लेस की लिस्ट में शामिल कराती है। डाउ हिल के जंगलों में बड़ी संख्या में आत्म हत्याएं हुई है। इस जंगल में इधर-उधर इंसानो की हड्डियां दिखाई दे जाना आम बात है। इसलिए यहां के वातावरण में अजीब सी सिरहन और दर महसूस किया जाता है। स्थानीय लोगो का कहना है कि दिसंबर से मार्च तक की छुट्टियों के दौरान उन्हें विक्टोरिया बॉयज स्कूल में पैरों कि आहट सुनाई देती है।
9. बड़ोग सुरंग
इस सुरंग का निर्माण एक अंग्रेज इंजीनियर बड़ोग ने करवाया था। इसलिए इसे बड़ोग सुरंग भी कहते है। बड़ोग सुरंग के साथ एक दर्द भरी कहानी जुड़ी है। कहते हैं कि इस सुरंग को बनाने वाले अंग्रेज इंचार्ज बड़ोग ने एक बड़ी भूल यह कर दी कि एक ही बार में दोनों ओर से सुरंग बनाने का कार्य शुरू कर दिया। अंदाजे की भूल से सुरंग के दोनों छोर मिल नहीं पाए जिसके कारण उन पर एक रुपए जुर्माना किया गया। कहते हैं कि अपनी इस चूक से वह इतने अधिक दुखी हुए कि उन्होंने एक दिन अपने कुत्ते के साथ सैर पर जाते हुए स्वयं को गोली मार कर आत्म ह्त्या कर ली। उसके बाद से यहां आज भी इसमें उस अंग्रेज इंजीनियर की रूह भटकती है। हालांकि इस रूह को फ्रेंडली माना जाता है। इस सुरंग में जाने से रोकने के लिए बाकायदा बोर्ड लगा है।
10. शनीवारवाडा किला
जब पश्चिम भारतीय प्रांत पर पेशवाओं का अधिकार था उस समय पेशवाओं के उत्तराधिकारी नारायण नामक बालक की उसके चाची के आदेशानुसार हत्या करवा दी गई थी। अपनी जान बचाने के लिए नारायण पूरे महल में घूमता रहा लेकिन फिर भी उसके हत्यारों ने उसे ढूंढ़ कर मार डाला। वह अपने चाचा को आवाज लगाता रहा पर कोई उसकी मदद के लिए नहीं आया। स्थानीय लोगों ने आज भी कई बार उसकी कराहने की आवाजें सुनी हैं। चांदनी रात में वह जगह और अधिक भयानक हो जाती है।
जब पश्चिम भारतीय प्रांत पर पेशवाओं का अधिकार था उस समय पेशवाओं के उत्तराधिकारी नारायण नामक बालक की उसके चाची के आदेशानुसार हत्या करवा दी गई थी। अपनी जान बचाने के लिए नारायण पूरे महल में घूमता रहा लेकिन फिर भी उसके हत्यारों ने उसे ढूंढ़ कर मार डाला। वह अपने चाचा को आवाज लगाता रहा पर कोई उसकी मदद के लिए नहीं आया। स्थानीय लोगों ने आज भी कई बार उसकी कराहने की आवाजें सुनी हैं। चांदनी रात में वह जगह और अधिक भयानक हो जाती है।
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