विश्व भर के वृक्षों में यह सबसे अधिक मात्रा में आक्सीजन उत्पन्न करता है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रकृति की यह अनुपम देन प्रति घंटे 1,700 किलोग्राम आक्सीजन उत्सर्जित करता है। यानी पर्यावरण शुद्धि में पीपल का अत्यधिक महत्व है। इसके अलावा यह वृक्ष अपनी घनी छाया और सुंदरता के लिए भी विख्यात है।
कहते है कि इस पेड़ मे देवता से लेकर भूत -प्रेत सभी वास करते है लेकिन सभी लोग भूत प्रेत मे विश्वास न करते हो लेकिन हम भूत- प्रेत को दर्दिरता भी कह सकते है।
पीपल के बारे में धार्मिक मान्यता है कि इसकी जड़ों में ब्रह्मा, तने में विष्णु और पत्तों में महेश का वास होता है। इसीलिए अनेक पूजा विधियों एवं धार्मिक अनुष्ठानों में पीपल के नीचे दीपक जलाने और उसकी पूजा करने का चलन है। धार्मिक आस्था से जुड़े होने के कारण ही इस वृक्ष को आमतौर पर काटा नहीं जाता है।
शनिवार को श्री विष्णु और लक्ष्मी जी पीपल वृक्ष के तने में निवास करते हैं। इस दिन किए गए उपाय भगवान लक्ष्मी नारायण व शनिदेव की कृपा दिलवाते हैं। शनिवार को पीपल पर जल व तेल चढ़ाना, दीप जलाना, पूजा करना या परिक्रमा करना अति शुभ होता है।
भूत-प्रेत का भय दूर करने के लिए सात बार पीपल की परिक्रमा करने के बाद पीपल की छाया में बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ करें।
रात (8 बजे के बाद ) और रविवार मे होता है दरिद्रिता का वास
शास्त्र कहते है है रविवार को पीपल की पूजा नहीं करनी चहिये क्योकि रविवार को दरद्रिता का वास होता है और पूजा करने से दरद्रिता खुश हो जाती है और आपके घर मे वास करने लग जाती है ऐसा होने पर उस व्यक्ति और उसके घर मे सभी को गरीबी का सामना करना पड़ता है।
रात 8 बजे के बाद भी पीपल के पेड़ की पूजा सस्त्रो मे मना ही है क्यों रात्रि 8 बजे के बाद इस पेड़ मे लक्ष्मी की बहन दरद्रिता का वास होता है
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