Wednesday, 21 June 2017

नासा ने ढूँढ निकाली है इक नई पृथ्वी

नासा के केप्लर नामक टेलिस्कोप ने इक पृथ्वी की ही तरह दिखने वाला प्लेनेट खोज निकला है। जोकि पृथ्वी के ही आकार का है। और पृथ्वी की हि तरह रहने योग्य वातावरण है।

नासा के केप्लर स्पेस टेलीस्कॉप, खगोलविदों ने पहले पृथ्वी के आकार के ग्रह को "रहने योग्य क्षेत्र" में एक तारे की परिक्रमा करते हुए खोज निकाला है जोकि उतनी ही दूरी पर है जितना की हमारी पृथ्वी और यह अनुमान लगाया जा रहा है की शायद् वंहा कोई पानी ही की तरह तरल मौजूद हो सकता है  केप्लर -186 एफ की खोज ने पुष्टि की है कि ग्रहों का आकार हमारे सूर्य के अलावा अन्य सितारों के रहने योग्य क्षेत्र में मौजूद है।

जो ग्रह "रहने योग्य क्षेत्र" पहले पाए गए है वे पृथ्वी से लगभग ४० % बड़े है लकिन Kepler-186f बहुत कुछ पृथ्वी की ही तरह दिखाई पड़ रहा है और इसका आकार भी पृथ्वी के आकार के जितना ही है।

वाशिंगटन स्थित एजेंसी के मुख्यालय में नासा के एस्ट्रोफिजिक्स डिवीजन के निदेशक पॉल हर्टज ने कहा, "केप्लर -186 एफ की खोज हमारे ग्रह पृथ्वी की तरह दुनिया की खोज करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है"। "भविष्य के नासा मिशन, ट्रांसटिंग एक्सपेलनेट सर्वे सैटेलाइट और जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कॉप की तरह, निकटतम चट्टानी एक्सपेलैनेट की खोज करेंगे और उनकी संरचना और वायुमंडलीय परिस्थितियों का पता लगाएंगे, मानव जाति की खोज को पृथ्वी की तरह दुनिया की खोज के लिए जारी रखेंगे।"
हालांकि केप्लर -186 एफ का आकार जाना जा चुका है, लेकिन इसका द्रव्यमान और संरचना का अभी कुछ पता नहीं है। हालांकि, पिछले शोध से पता चलता है कि एक ग्रह केप्लर -186 एफ का आकार चट्टानी हो सकता है।




नासा के एम्स में एसईटीआई संस्थान के अनुसंधान वैज्ञानिक एलिसा क्विंटाना ने कहा, "हम सिर्फ एक ही ग्रह के बारे में जानते हैं, जहां जीवन मौजूद है - पृथ्वी। जब हम अपने सौर मंडल के बाहर जीवन की तलाश करते हैं, तो हम ग्रहों की विशेषताओं के साथ मिलते हैं, जो कि पृथ्वी की नकल करते हैं" मोफ्फ़ेट फील्ड, कैलिफोर्निया में शोध केंद्र, और पत्रिका विज्ञान में आज प्रकाशित पेपर के प्रमुख लेखक "आकार में पृथ्वी के लिए तुलनीय रहने वाला एक ज़मीन ग्रह ढूंढना एक बड़ा कदम है।"




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केप्लर -186 एफ अपना  हर १३० दिन में अपने सितारे का चक्कर पूरा केर लेता है और इक तियाही सूर्य का प्रकाश ऊर्जा को ग्रहण केर लेता है जिस प्रकार हमारी पृथ्वी कर लेती है केपलर -186 एफ की सतह पर, उच्च दोपहर में अपने तारे की चमक केवल उतनी ही उज्ज्वल होती है जितनी सूर्यास्त से एक घंटे पहले हमारा सूरज हमें दिखाई देता है।


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